सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ से अमृतमय मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯
Author
Manmohan Kumar AryaDate
06-Feb-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
09-Feb-2016Download PDF
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हमारी जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन ईशà¥à¤µà¤° की देन है। ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ होने के साथ सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž à¤à¥€ है। उससे दान में मिली मानव जीवन रूपी सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® वसà¥à¤¤à¥ का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर हम उसकी कृपा व सहाय को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं और इसके विपरीत मानव शरीर का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— न करने के कारण हमें नियनà¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के दणà¥à¤¡ का à¤à¤¾à¤—ी होना पड़ सकता है। इस शिकà¥à¤·à¤¾ को à¤à¤• उदाहरण से इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समठसकते हैं कि हमने किसी à¤à¥‚खे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को देखा। उसके पास à¤à¥‚ख दूर करने के साधन नहीं है। उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमारे अनà¥à¤¦à¤° दया उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ हमने उसे कà¥à¤› धन दिया जिससे वह à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर सके। यदि वह à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर अचà¥à¤›à¥‡ काम करेगा तो हमें सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होगी और यदि वह उस धन से à¤à¥‹à¤œà¤¨ न कर उस धन से अनà¥à¤¯ किसी निकृषà¥à¤Ÿ पदारà¥à¤¥ मदिरापान का सेवन व अà¤à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ को खाता है तो हमें अपने कृतà¥à¤¯ पर पछतावा होगा। हम इसके बाद उसकी सहायत नहीं करेंगे। ईशà¥à¤µà¤° ने à¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾ पर दया करके उसे दà¥à¤°à¥à¤²à¤ व सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मानव शरीर दिया है। अतः हमें इसका सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर ईशà¥à¤µà¤° की अधिक से अधिक सहायता व कृपा को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिये। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं करेंगे तो हम ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤–, समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, आतà¥à¤®à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿, अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, अचà¥à¤›à¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व महातà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वाले विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की संगति आदि à¤à¤¾à¤µà¥€ कृपाओं से वंचित हो जायेंगे।
बृहदारणà¥à¤¯à¤• उपनिषद के ऋषि ने जीवन निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® सूतà¥à¤° ‘असतो मा सदà¥à¤—मय। तमसो मा जà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤—मय। मृतà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤®à¤¾ अमृतं गमय।।’ दिये हैं। यह सूतà¥à¤° उस पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठउपयोगी व लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• हैं जो जीवन को इसके वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• लकà¥à¤·à¥à¤¯ पर ले जाना वा पहà¥à¤‚चाना चाहते हैं। इसके लिठइसमें पहली शिकà¥à¤·à¤¾ यह दी गई है कि ‘असतो मा सदà¥à¤—मय’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को जीवातà¥à¤®à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ असतॠको हटाकर सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— पर चलाना है। à¤à¤¸à¤¾ इसलिये कहा गया है कि असत मारà¥à¤— अवनति वा दà¥à¤ƒà¤– की ओर ले जाता है और सत मारà¥à¤— उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सà¥à¤– की ओर ले जाता है। संसार में कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ दà¥à¤ƒà¤– नहीं चाहता। सà¤à¥€ कामना करते हैं कि मेरे सारे दà¥à¤ƒà¤– दूर हो जाये और सà¤à¥€ सà¥à¤–ों की उपलबà¥à¤§à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ मà¥à¤à¥‡ हो। इसका उपाय ही उपनिषद के ऋषि ने ‘असतो मा सदà¥à¤—मय’ कहकर बताया है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का चैथा नियम इसके समान ही बनाया है। नियम है कि ‘सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने और असतà¥à¤¯ के छोड़ने में सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ उदà¥à¤¯à¤¤ रहना चाहिये।’ इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ वही है जो कि ‘असतो मा सदà¥à¤—मय’ का है। इस नियम को विचार कर हमें लगता है कि इसे देश व विशà¥à¤µ का धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ वाकà¥à¤¯ बना देना चाहिये। शिकà¥à¤·à¤¾ व विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में हर सà¥à¤¤à¤° पर इसका विवेचन व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हो और यह हमारे जीवन के लिठà¤à¤• कसौटी का कारà¥à¤¯ करे। हमें पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¨ विचार करना चाहिये कि हमारे जीवन में इस आदरà¥à¤¶ का कितना à¤à¤¾à¤— विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सहित हमारे सà¤à¥€ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ व महापà¥à¤°à¥à¤· इसी मारà¥à¤— पर चले थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का अपने जीवनों में पूरा-पूरा पालन किया था और इसी से वह सब महान बने थे। आज मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति का जो पतन देखने को मिलता है उसमें कहीं न कहीं इस नियम की उपेकà¥à¤·à¤¾ ही दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होती दिखाई देती है। इस नियम के पालन न करने से ही पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में पशà¥à¤“ं की हिंसा होती थी, इसी के कारण देश को मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦, सामाजिक असमानता व विषमता, छोटे-बडे की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, बाल विवाह, मांसाहार, मदिरापान, धूमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¨, असदॠवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° वा à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के रोग लगे। सनॠ1863 से सनॠ1883 तक महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक इन अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अविवेकपूरà¥à¤£ व मिथà¥à¤¯à¤¾ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ किया और सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करने के लिठईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सतà¥à¤¯à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ यà¥à¤•à¥à¤¤ वेदों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का देश व à¤à¥‚मणà¥à¤¡à¤² में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। इसे जितने अंशों में देश समाज व विशà¥à¤µ ने अपनाया है उसी अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में आज हम देश व समाज की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ देख रहे हैं। उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से अà¤à¥€ हम बहà¥à¤¤ पीछे हैं। लगता है कि देश अब रूक गया है। लोग परा व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® विदà¥à¤¯à¤¾ की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर रहे हैं और केवल अपरा विदà¥à¤¯à¤¾ वा à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में ही डूबकी लगा रहे हैं। अतः आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤¯à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन से असदॠवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को हटाकर सदà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना ही ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करना व उससे सà¤à¥€ सातà¥à¤µà¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का मारà¥à¤— विदित होता है।
उपनिषद के ऋषि ने इसके बाद ‘तमसो मा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤—मय’ कह कर यह à¤à¥€ सà¥à¤¸à¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दिया कि जीवन में तम, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ नाम मातà¥à¤° का à¤à¥€ नहीं होना चाहिये। यदि जीवन में तम रूपी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° होगा तो वह सदà¥à¤—मय के हमारे धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ में बाधक होगा। इसलिये तम के अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ से दूर करने की शिकà¥à¤·à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दी है। यह तम व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤¸à¤¾ है कि कई बार यह बडे-बड़े जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ लग जाता है। यह तम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में राग, दà¥à¤µà¥‡à¤·, काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§ व अहंकार आदि मिथà¥à¤¯à¤¾ बातों के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में आ जाने पर पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो जाता है जिन पर विजय पाना कठिन होता है। आज देखा जाये तो साधारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ से लेकर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ तक पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ इन तमों से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ हैं। इसके लिये वेदादि सदà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ सायं ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸, यजà¥à¤žà¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ अनà¥à¤·à¥à¤ ान सहित सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की संगति आवशà¥à¤¯à¤• होती है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में चिनà¥à¤¤à¤¨ करते हà¥à¤ à¤à¥€ यह देखना उचित होता है कि मेरे अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ में ये मानसिक रोग व विकार हैं अथवा नहीं। यदि हों तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचार कर दूर करने का दृण संकलà¥à¤ª लेना चाहिये और पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ सायं उसकी विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ पर विचार कर उसको जीवन से दूर करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिये। तम रहित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ जीवन ही सदगमय का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• सातà¥à¤µà¤¿à¤• व पारमारà¥à¤¥à¤¿à¤• जीवन होता है। सतà¥à¤¯ का धारण और तम रूपी असतà¥à¤¯ का निरनà¥à¤¤à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है और इसको करके ही हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाते हैं। हमें मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम, योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और वेदà¤à¤•à¥à¤¤ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ में सदाचार का धारण ही उनकी दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का कारण अनà¥à¤à¤µ होता है। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का अनà¥à¤•à¤°à¤£ हमें à¤à¥€ करके उनके समान बनना है। यही इन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को मानने व उनके गà¥à¤£-कीरà¥à¤¤à¤¨ करने का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ हेै।
सूतà¥à¤° की तीसरी व अनà¥à¤¤à¤¿à¤® शिकà¥à¤·à¤¾ है कि ‘मृतà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤®à¤¾ अमृतं गमय’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मैं मृतà¥à¤¯à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करूं और अमृत अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जनà¥à¤®-मरण से अवकाश पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करूं। यह अमृत वा मोकà¥à¤· ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® लकà¥à¤·à¥à¤¯ व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। यही वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• व सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, विषà¥à¤£à¥à¤²à¥‹à¤• व 24x7 वा निरनà¥à¤¤à¤° ईशà¥à¤µà¤° की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जिसमें जीवातà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° में निहित अमृतमय आननà¥à¤¦ का à¤à¥‹à¤— करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° के साथ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ अनेक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। इसके विपरीत विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹,ं धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥à¤“ं वा पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥à¤— आदि की जो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की जाति है वह यथारà¥à¤¥ नहीं है। उपनिषद की इसी शिकà¥à¤·à¤¾ के समान यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ 30 का तीसरा मनà¥à¤¤à¥à¤° ‘ओ३मॠविशà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¿ देव सवितरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¾à¤¨à¤¿ परासà¥à¤µà¥¤ यदॠà¤à¤¦à¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¨à¥à¤¨ आसà¥à¤µà¥¤à¥¤’ à¤à¥€ है। इसका हम पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ अरà¥à¤¥ सहित पाठकरते ही हैं जिसमें कहा गया है कि ‘हे सकल जगतॠके उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾, समगà¥à¤° à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सब सà¥à¤–ों के दाता परमेशà¥à¤µà¤° ! आप कृपा करके हमारे समसà¥à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£, दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤¸à¤¨ और दà¥à¤ƒà¤–ों को दूर कर दीजिठऔर जो कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ और पदारà¥à¤¥ हैं, वह सब हमको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीजिà¤à¥¤’इस मनà¥à¤¤à¥à¤° के अरà¥à¤¥ में ‘जो कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ और पदारà¥à¤¥ हैं, वह सब हमको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीजिà¤à¥¤’, इसमें सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सातà¥à¤µà¤¿à¤• सांसारिक सà¥à¤–ों के साधनों व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित अमृतमय मोकà¥à¤· सà¥à¤– à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं।
हम आशा करते हैं कि पाठक इस लेख पर विचार कर उपनिषद वाकà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ को अपने जीवन में अपनायेंगे और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जनसाधारण की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में लिखित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ वा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर अपने जीवन को मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® सà¥à¤– मोकà¥à¤· की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° करेंगे।
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